महाभारत में दुर्योधन की गलतियों का रहस्य
महाभारत के युद्ध में दुर्योधन की भूमिका
महाभारत के युद्ध में कई महान योद्धाओं ने भाग लिया, लेकिन दुर्योधन की ओर से लड़ने वाले सभी योद्धा मारे गए। अंत में, दुर्योधन अकेला बचा था, और उसका मुकाबला भीम से हुआ। भीम ने अपनी गदा से दुर्योधन की जंघा तोड़ दी।
दुर्योधन की अंतिम क्षणों में श्रीकृष्ण से संवाद
जब दुर्योधन की मृत्यु का समय निकट आया, उसने भगवान श्रीकृष्ण को तीन उंगलियां दिखाई। आइए जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा क्यों किया।
दुर्योधन की गलतियों का खुलासा
दुर्योधन कौरवों के वंश के विनाश का मुख्य कारण था। उसने शांति के बजाय युद्ध को चुना और अधर्म के मार्ग पर चलते हुए अपनी मृत्यु को आमंत्रित किया। भीम के साथ युद्ध के दौरान, दुर्योधन ने अपनी तीन गलतियों के बारे में बताया।
पहली गलती का अर्थ
दुर्योधन ने अपनी पहली उंगली से बताया कि उसकी सबसे बड़ी गलती यह थी कि उसने भगवान को छोड़कर उनकी नारायण सेना मांगी। उसने कहा कि यदि उसने भगवान को मांगा होता, तो वह इस स्थिति में नहीं होता।
दूसरी गलती का खुलासा
दुर्योधन ने अपनी दूसरी गलती बताई कि युद्ध के अंत में उसने भगवान श्रीकृष्ण की सलाह मानी, जबकि वे उसके शत्रु के सहयोगी थे। इसका कारण यह था कि दुर्योधन के पिता जन्म से अंधे थे। गांधारी ने अपने पति धर्म का पालन करते हुए अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी।
तीसरी गलती का उल्लेख
दुर्योधन ने कहा कि उसकी तीसरी सबसे बड़ी गलती यह थी कि वह युद्ध में सबसे अंत में आया। यदि वह पहले आता, तो परिणाम अलग हो सकता था।
भगवान श्रीकृष्ण का उत्तर
दुर्योधन की बातों को सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम अपनी गलतियों के कारण नहीं, बल्कि अधर्म के मार्ग पर चलने के कारण हारे हो। यह कहकर उन्होंने दुर्योधन की उंगलियां मोड़ दीं।