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धनुर्दास: पत्नी के प्रेम से भक्त बनने की प्रेरणादायक कहानी

धनुर्दास की कहानी एक अनोखी भक्ति यात्रा है, जिसमें उनकी पत्नी के प्रति गहरा प्रेम उन्हें भगवान श्रीरंगनाथ के प्रति समर्पित करता है। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज द्वारा सुनाई गई यह कथा दर्शाती है कि सच्चा प्रेम केवल ईश्वर के लिए होता है। जानें कैसे धनुर्दास ने अपनी पत्नी की सुंदरता के प्रति आसक्ति को भक्ति में बदल दिया और भगवान के प्रति अपनी निष्ठा को स्थापित किया।
 

धनुर्दास की अनोखी भक्ति यात्रा


भारतीय संत परंपरा में कई भक्तों की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने अपने प्रेम और भक्ति से ईश्वर की ओर मार्ग प्रशस्त किया। भक्त धनुर्दास, जो श्रीरामानुजाचार्य के प्रिय शिष्य और भगवान श्रीरंगनाथ के अनन्य भक्त के रूप में जाने जाते हैं, की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। धनुर्दास की पत्नी के प्रति दीवानगी ने उन्हें भक्ति के मार्ग पर अग्रसर किया। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने उनकी इस अनोखी प्रेम कहानी को साझा किया है।


प्रेमानंद महाराज के अनुसार, धनुर्दास अपनी पत्नी के प्रति इतनी आसक्त थे कि वे उसके बिना सब्जी खरीदने भी नहीं जा सकते थे। जब भी वे सब्जी लेने जाते, उनकी पत्नी उनके साथ होती। धनुर्दास अपनी पत्नी के पीछे छाता लेकर चलते थे, और लोग उनकी इस आदत पर हंसते थे, लेकिन उन्हें इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता था।


एक बार, जब आचार्य श्रीरामानुजाचार्य को धनुर्दास के बारे में बताया गया, तो उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति काम का है, क्योंकि उसकी सारी आसक्ति एकत्रित हो चुकी है। आचार्य ने धनुर्दास से कहा कि मेरी ओर देखो, लेकिन धनुर्दास ने कहा कि वे अपनी पत्नी से नजरें नहीं हटा सकते।


धनुर्दास का श्रीरंगनाथ के प्रति प्रेम


आचार्य श्रीरामानुजाचार्य ने धनुर्दास से पूछा कि वे अपनी पत्नी को इतना सुंदर क्यों मानते हैं। जब आचार्य ने कहा कि इससे भी सुंदर दिखा दिया जाए तो, तभी श्रीरंगनाथ प्रकट हुए। धनुर्दास भगवान को देखकर चकित रह गए और उनके हाथ से छाता गिर गया। इस घटना के बाद, वे भगवान श्रीरंगनाथ के परम भक्त बन गए।