तिरंगा लहराता हर घर: डॉ. सरिता चौहान की स्वरचित कविता
तिरंगे का उत्सव
प्रभा की धारा में उमंग है,
अभिषेक का समय है।
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर स्थान पर तिरंगा फहराता।
तन और मन दोनों ही प्रसन्न,
गूंज रहा है भारत माता की जय का उद्घोष,
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर घर में तिरंगा फहराता।
जाति, धर्म और मजहब से परे,
यह प्यारा देश है।
दुनिया को यह देता है,
मानवता का संदेश।
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर घर में तिरंगा फहराता।
मेरा देश, मेरा भारत,
प्राणों से भी प्यारा है।
देश की जान, देश की शान,
तिरंगा है इसका मान।
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर घर में तिरंगा फहराता।
हर घर तिरंगा, घर-घर तिरंगा,
मोदी जी का यह अभियान है।
देश के वीरों और प्यारे लोगों,
सफल करो तुम यह अभियान।
चांद पर पहुंचाया तुमने तिरंगा,
चंद्रयान बनाकर, देश को तुम पर गर्व है।
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर घर में तिरंगा फहराता।
राष्ट्र का गौरव गाथा लिखने,
महायोगी निकल पड़े हैं।
अपनी संस्कृति को कभी न भूलें,
ऐसे ही महायोगी हैं।
तन पर भगवा, मन पर अंकुश,
राष्ट्र के हित में जीवन है।
कीर्ति पताका लहराती है,
दुनिया भर में आज,
हर घर में तिरंगा लहराता,
हर घर में तिरंगा फहराता।