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इंदौर में मालती जोशी की स्मृति में साहित्यिक आयोजन

इंदौर में 4 और 5 जून को प्रसिद्ध कथा लेखिका मालती जोशी की स्मृति में एक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में उनके कथा साहित्य पर चर्चा होगी और उनकी कहानियों का मंचन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई महाजन करेंगी, जबकि कई प्रमुख साहित्यकार भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। मालती जोशी के जीवन पर आधारित ग्रंथ 'स्मृति कल्प' का लोकार्पण भी होगा।
 

मालती जोशी की याद में साहित्यिक उत्सव

भोपाल/इंदौर। प्रसिद्ध कथा लेखिका श्रीमती मालती जोशी की याद में एक विशेष साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन 4 और 5 जून को इंदौर में किया जाएगा। यह आयोजन उनके निधन की पहली वर्षगांठ पर, जो पिछले साल 15 मई को हुआ था, उनके जन्मदिन के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मालती जोशी के कथा साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।


 


इंदौर के जाल सभागृह में 4 जून को इस आयोजन का उद्घाटन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई महाजन करेंगी। इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर सरोज कुमार और डॉ. सूर्यकांत नागर भी उपस्थित रहेंगे। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा इस कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि होंगी।




5 जून को संचार विशेषज्ञ प्रो. संजय दिवेदी, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे, लेखिका निर्मला भुराड़िया और ज्योति जैन भी इस आयोजन में शामिल होंगे।




इस दो दिवसीय कार्यक्रम में अनीता सक्सेना, अमिता त्रिवेदी, संजय पटेल, अर्चना मंडलोई, मिलिंद देशपांडे और संतोष मोहंती मालती जोशी की कहानियों का पाठ करेंगे। प्रख्यात रंगकर्मी श्रीराम जोग और विवेक सावरीकर के निर्देशन में उनकी कहानियों का मंचन भी किया जाएगा।




मालती जोशी का इंदौर से गहरा नाता रहा है। इस अवसर पर उनके जीवन पर आधारित ग्रंथ ‘स्मृति कल्प’ का लोकार्पण भी किया जाएगा, साथ ही उनके जीवन पर केंद्रित एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।




मालती जोशी को पद्मश्री, शिखर सम्मान और भावभूति अलंकरण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने हिंदी और मराठी में 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनका कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनके लेखन पर टेलीविजन पर धारावाहिक भी बने हैं। प्रारंभ में कविता लिखने वाली मालती जोशी को उनके शुरुआती जीवन में “मालवा की मीरा” के नाम से जाना जाता था। वे अपनी कहानियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का चित्रण करती रही हैं और अपने समय की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक मानी जाती हैं।




यह आयोजन उनके परिवार द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें उनके पुत्र ऋषिकेश जोशी और सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।